यह चौपाई श्री रामचरितमानस के लंकाकाण्ड अध्याय से है।

chaupai.ramParivarImageAlt

बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा॥ भुजबल जितेहु काल जम साईं। आजु परेहु अनाथ की नाईं॥

यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावन की मृत्यु के पश्चात् मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है।
भावार्थ: वरुण, कुबेर, इंद्र और वायु, इनमें से किसी ने भी रण में तुम्हारे सामने धैर्य धारण नहीं किया। हे स्वामी! तुमने अपने भुजबल से काल और यमराज को भी जीत लिया था। वही तुम आज अनाथ की तरह पड़े हो।
श्रीराम शलाका ऐप का उपयोग करें